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Channel: मातृ दिवस
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मातृ दिवस पर संदेश भेजें

माँ, माताजी, आई, मम्मी, अम्मा से लेकर मम्मा तक हर माँ एक भीने-भीने रिश्ते का प्रतीक है। मातृ दिवस पर हर संतान की यह अहम जिम्मेदारी है कि वह माँ के प्रति अपने प्यार का, अपने सम्मान का और अपनी रेशमी...

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माँ : मीठी बयार का कोमल अहसास

माँ, समूची धरती पर बस यही एक रिश्ता है जिसमें कोई छल कपट नहीं होता। कोई स्वार्थ, कोई प्रदूषण नहीं होता। इस एक रिश्ते में निहित है अनंत गहराई लिए छलछलाता ममता का सागर। शीतल, मीठी और सुगंधित बयार का कोमल...

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'माँ' सिर्फ आपको अर्पण

माँ है वह ममता की महान मूरत, जिसकी मुस्कान के सहारे खिल उठती है सूरत, जो जीवन के पग-पग पर देती हैं साथ, कभी नहीं होने देती है जीवन में निराश, आपकी उँगली पकड़कर ही तो मैंने चलना सीखा, आपकी ममता के आँचल...

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मेरे पास माँ है ....

उस रात मैंने हर देवी-देवता को याद किया था। दिल से रोते हुए मेरी एक ही प्रार्थना थीं कि बस माँ को कुछ ना हो। मेरी माँ मेरे लिए क्या और कितना महत्व रखती है यह मैंने सही मायनों में उसी रात जाना था। उसी...

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माँ की पीड़ा कौन सुनेगा

वे माँएँ कोस रही हैं राज्य सरकार को ‍कि एक तरफ तो मुख्‍यमंत्री की भांजी (उनकी बेटी) के लिए लाडली लक्ष्मी योजना है तो दूसरी ओर भांजों (उनके बेटों) और भांजा दामादों (बेटियों के पति) के लिए कुकुरमुत्तों...

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माँ में बसता है भगवान

माँ, औरत का एक ऐसा किरदार है, जिसमें संपूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार सब कुछ निहित होता है। शायद ही दुनिया का कोई अन्य रिश्ता ऐसा हो, जिसमें इतनी सारी खूबियाँ एकसाथ होती हों। एक औरत के रूप में...

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माँ का वही छोटा सा बच्चा

मैं जब ऑफिस से घर जाता हूँ। शूज भी नहीं उतारता कि माँ की आवाज आती है। चल बेटा रोटी परसूँ कि देर से खाएगा। माँ के बोल कानों में पड़ते हैं तो लगता है मानो 'वही धूल-मिट्‍टी में खेलने वाला छोटा सा बच्चा...

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तुझे सब है पता मेरी माँ...

हाँ, माँ को सब पता होता है जो हम बताते हैं वो भी और जो नहीं बताते वो भी। जैसे भगवान से कुछ नहीं छुपता वैसे ही माँ से कुछ नहीं छुपता। मैंने और शायद आपने भी इस सच्‍चाई को कई बार महसूस कि‍या होगा। माँ से...

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माँ

संबंध नहीं हैं माँ केवल संपर्क नहीं है आदर्श है जीवन का केवल संबोधन नहीं है जन्‍मदात्री है वो मात्र इंसान नहीं है व्‍यक्तित्‍व बनाती है, केवल पहचान नहीं है ममता की प्रतिमा है केवल नारी का एक रूप नहीं...

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स्मृतियों के झरोखे में मेरी माँ

मैं जब भी माँ के बारे में सोचता हूँ मुझे मटके में ताजा पानी भरने की आवाज सुनाई देती है। उसकी उम्र उसकी झुर्रियों से ज्यादा उन बर्तनों की खनखनाहट में थी जिसे वह सालों से माँजती चली आ रही थी। भरे-पूरे...

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माँ के लिए बस एक दिन?

बड़ी अनुपम (सुखमय) अनुभूति होती है जब हम अपनी माँ को महत्व देते हैं, लेकिन क्या माँ को याद करने के लिए सिर्फ 'एक ही दिन' पर्याप्त हैं? माँ की ममता तो असीमित है, तो उनके लिए हमारा आदर क्यों सिर्फ एक ही...

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आँचल इसका खुशियों की फुलवारी

रिश्तों की रवानगी इसमें ममता की हर बानगी इसमें, चरणों में इसके सुख स्वर्ग का नसीब से मिलता है साथ इसका, ईश्वर भी, जिसके आगे नतमस्तक इसके आगे फीकी कुदरत की हर नैमतआँचल इसका खुशियों की फुलवारी ...

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औरत का सच्चा रूप है माँ

बचपन में लोरियाँ सुनाती माँ, हर आहट पर जाग जाती माँ। आज गुनगुनाती है तकिये को लेकर, भिगोती है आँसू से उसे बेटा समझकर। स्कूल जाते समय प्यार से दुलारती माँ, बच्चे के आने की बाट जोहती माँ। अब रोती है चौखट...

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मेरी माँ

'माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं, जिसकी कोई सीमा नहीं, जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है

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हर हाल में बच्चों पर प्यार उड़ेलती है माँ

माँ का रिश्ता परिभाषाओं से परे होता है क्योंकि यह सिर्फ अनुभूति का विषय है लेकिन यदि महिला को माँ और पिता दोनों की भूमिका एक साथ निभानी पड़े तो यह एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी बन जाती है। हालाँकि ऐसी...

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माँ तुझे प्रणाम...

वेलेंटाइन-डे पर जिस तरह बाजार में रौनक रहती है और बाजारवादी तमाम तरह के ग्रीटिंग कार्ड बेचने में लगे रहते हैं और प्रेमी-प्रेमिका भी अपने प्रेम का इजहार करने के लिए अति व्याकुल हो जाते हैं तथा मीडिया भी...

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माँ तो बस माँ होती है

माँ तो बस माँ होती है बच्चों को भरपेट खिलाती खुद भूखी ही सोती है माँ तो बस माँ ही होती है।। बच्चों की चंचल अठखेली देख-देख खुश होती है बचपन के हर सुंदर पल को बना याद संजोती है।

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'माँ तुझे सलाम है'

प्रकृति का हरेक प्राणी जन्म लेते ही जिस रिश्ते से प्रथम परिचित होता है, वह है माँ-बच्चे का रिश्ता... माँ और बच्चे का संबंध वास्तव में इतना अटूट है कि उसे याद करने या 'सेलीब्रेट' करने के लिए हमें 'मदर्स...

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क्या ऐसी होती है माँ

रोज थाली लेकर मंदिर जाती माँ पत्थर पर भावनाओं के पुष्प चढ़ाती माँ कौन कहता है पत्थर निर्जीव है निर्जीव को भी सजीव बनाती माँ घर की मेढ़ी पर बैठी माँ तकती है राह बेटों की सांझ जैसे-जैसे ढ़लती जाती है माँ...

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शहद जैसी मीठी-मीठी माँ

माँ तू एक पवन का झोंका है...जो दुआओं का आँचल लहराती हर वक्त मेरे पास खड़ी रहती है... कैसे पता चल जाती है तुझे हर वह बात जो मथती है मन मेरा?... सहज दुलार से फिर तू बुहार देती है सब चिंताओं को... रुखे...

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